नित्य, नूतन और प्रवाही यही है उसका स्थायी स्वरूप । ना कही रुकी हुई ना किसी से जुडी हुई ।
Eternal, ever evolving and ever flowing is her nature. She is not attached to anything nor she is hindered anywhere.
अपने आपमें स्वतंत्र और किसी भी गुण और अवगुणों सें अप्रभावित । स्थल और काल सबको अपने आपमे समानेवाली । ना वो किसी से जुडी हुई थी ना किसी से विलग थी ।
Being independant is her innate nature ; unaffected by any vices or traits. Completely detached from the time and space. She is in everyone yet have separate existence.
आकाशगंगा के जैसे अपने ही धून में चक्कर लगाते हुई इस ब्रह्मांड मे घुलमिल ने वाली । धरणी के हृदयसे, पाणी और अग्नी कि ऊर्जा से और आकाश की विशालता ने जिसे निर्माण करके प्राण फुंके वो किसी एक कि कैसे हो सकती है ।
Swirling around self like a milky way ( Akash Ganga ) and finally dissolving into the empty cosmos. Came out of the heart of this earth, filled with the energy of water and fire ; spread vast like the space. How can be owned by some one ?
एक क्षण मे वो सबकी और किसकी भी नही है । समान ऊर्जा के स्तर पर प्रकट होकर पुनः अनंत में खो जानेवाली ; वो तो है ब्रह्मांडके ऊर्जा का एक उत्कट कण ।
For a moment she is of eevryone and the next is entirely detached from everyone. Meeting on the same level of vibrations and disappearing into the vastness. She is a speck of energy came out of this cosmos.
उर्जा के स्पंदन प्रकट करती हुई, निरंतर रूप बदलती, सृष्टि का अनुभव करती, स्थल कालके दायरोंसे गुजरते हुई ...
Gleaming with the vibrations, constantly changing, experiencing this mortal world , crossing the dimensions of Time and Space.
Muse : K Raginee Yogesh
Write up & Photo : Yogesh Kardile
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