
कोई भी झूठी कल्पनाओं और कहानियों में न फँसते हुए, अपनी ही हाथ से पानी पीने वाली, और सदसद्विवेकबुद्धि का उपयोग कर अपनी मर्जी से जीवन जीने वाली व्यक्ति ही असली देवी होती है।

वह जो प्रकृति को समझती और जानती है। जो अपने श्वास को ही अपना जीवन साथी मानती है, वही देवी है। जिसे किसी भी परंपरा, रीति-रिवाज या वैचारिक बेड़ियों में बाँधा नहीं जा सकता। “सर्वं खल्विदं ब्रह्म” (सर्वत्र ब्रह्म है) इस विचार का प्रत्यक्ष अनुभव करने वाली वही देवी होती है।

Muse : K Raginee Yogesh
Photo & words : Yogesh Kardile
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